दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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बुधवार, फ़रवरी 04, 2015

Thyroid: they eat, avoid these things

थायराइड : ये खाएं, इन चीजों से बचें

थायराइड ग्रंथि एवं इससे होने वाली समस्याओं के लक्षणों आदि की संक्षिप्त जानकारी मैंने इस श्रृंखला के पहले लेख में देने का प्रयास किया था, आइए अब जानें थायरायड की समस्या से बचाव एवं सम्बंधित चिकित्सोपयोगी जानकारी -

क्या नहीं खाएं :

  • थायराइड से सम्बंधित समस्याओं के लिए सोया एवं इससे बने अन्य पदार्थों को विलेन नंबर 1 माना गया है, आधुनिक शोध इस बात को प्रमाणित भी कर रहे हैं कि लगभग एक तिहाई बच्चे जो ऑटोइम्यून थायरायड से सम्बंधित समस्याओं से पीडि़त होते है उनमें सोया-मिल्क या इससे बने अन्य पदार्थ एक बड़ा कारण हैं। आप यह जानते होंगे कि सोयाबीन हायड्रोजेनेटेडफैट एवं पालीअनसेचुरेटेड ऑयल का सबसे बड़ा स्रोत है।
  • फूलगोभी,ब्रोकली एवं पत्ता गोभी स्वयं में गूट्रोजन पाए जाने के कारण थायरायड हार्मोन्स के प्रोडक्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

क्या खाएं -

आयोडीन - थायराइड की समस्या में आयोडीन की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होती है इसी न्युट्रीयंट पर थायरायड की कार्यकुशलता निर्भर करती है ढ्ढ पूरी दुनिया में ऑटोइम्यून कारणों से उत्पन्न होनेवाली थायरायड की समस्या को छोड़कर बांकी अधिकांश रोगियों में आयोडीन की कमी इस समस्या का मूल कारण है हालांकि आयोडाईज्ड नमक एवं प्रोसेस्ड भोज्य पदार्थों के कारण आज आयोडीन की कमी से उत्पन्न होनेवाली इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है।
विटामिन डी - ऑटोइम्यून समस्या के कारण कम थायरोक्सिन बनना (हाशिमोटोडीजिज) एवं अधिक थायरोक्सिन बनना (ग्रेव्स डिजीज) दोनों ही स्थितियों में विटामिन-डी का पर्याप्त मात्रा में सेवन आवश्यक होता है। अत: वैसे भोज्य पदार्थ जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन -डी पाया जाता हो जैसे :मछली,अंडे,दूध एवं मशरूम का सेवन करना चाहिए और यदि विटामिन -डी की मात्रा आवश्यक मात्रा से कम है तो इसे सप्लीमेंट के रूप में चिकित्सक के परामर्श से लेना चाहिए।
सेलीनियम -थायराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है इसे थायराइड-सुपर-न्युट्रीएंट भी कहा जाता है, यह थायराइड से सम्बंधित अधिकाँश एन्जायम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है ,इससे थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता नियंत्रित होती है। सेलेनियम एक ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें निर्भर करती है, अत: भोजन में पर्याप्त सेलीनियम थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता के लिए अत्यंत आवश्यक है जो अखरोट,बादाम जैसे सूखे लों में पाया जाता है।
  • थायराइड की दवा लेते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि कोई ऐसा फ़ूड सप्लीमेंट जैसे: केल्शियम सप्लीमेंट्स आदि इसके अवशोषण को बाधित कर सकता है अत: इनके लिए जाने के समय के बीच का अंतराल कम से कम चार घंटे का अवश्य ही होना चाहिए।
  • डायबीटिक रोगियों में शुगर कंट्रोल करने के लिए दी जा रही दवा Chromium picolinate थायराईड की दवा के अवशोषण को बाधित कर सकती है अत: उपरोक्त दवा और थायराइड की दवा को लेने के बीच भी कम से कम तीन से चार घंटे का अंतर अवश्य ही होना चाहिए। फ्लेवनोइड्सयुक्त ल सब्जियां एवं चाय हृदय की कार्यकुशलता को बढ़ाते हैं लेकिन अधिक मात्रा में लेने पर थायराइड की कार्यकुशलता को घटा देते हैं अत: इनका सेवन नियंत्रित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
  • नियंत्रित व्यायाम हायपो-थायराईडिज्म एवं हायपर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में आवश्यक माना गया है। इससे वजन बढऩा,थकान एवं अवसाद जैसी स्थितियों से बचने में काफी मदद मिलती है।
  • थायराइड के रोगियों के लिए धूम्रपान एक जहर की भाँति है, खासकर सिगरेट के धुएं में पाया जानेवाला थायोसायनेट थायराइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाने वाला एक बड़ा कारण है अत: एक्टिव एवं पेसिव स्मोकिंग से बचना अत्यंत आवश्यक है।
  • कहीं न्यूक्लीयर -एक्सीडेंट हो जाने पर पोटेशियम-आयोडाईड एक ऐसा सप्लीमेंट है जो कुछ ही घंटों के बाद लोगों में बांटा जाता है ताकि थायराइड की गडबडी एवं थायराईड कैंसर होने की संभावना को टाला जा सके ,रूस में चेर्नोबिल हादसे के बाद पोलेंड में इसे बड़ी मात्रा में लोगों के बीच बांटा गया जबकि यूक्रेन एवं रूस में समय रहते उतना वितरण नहीं हो पाया।.इन्हें कारणों से पोलेंड में चेर्नोबिल हादसे के बाद थायराइड की गड़बड़ी एवं थायराइड कैंसर की समस्या उतनी नहीं देखी गयी।
  • फ्लोराइड एक ऐसा नाम जिससे आप सभी परिचित होंगे, हायपर-थायराईडिज्म यानि थायराइड की अतिसक्रियता की स्थिति में इसका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है जो प्रभावी ढंग से थायराइड को अंडरएक्टिव बना देता है। आधुनिक फ्लोरिनेटेड संसार में जहां पानी, माउथ-वाश से लेकर टूथ-पेस्ट तक सब कुछ फ्लोरिनेटेड है के प्रयोग में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
थायराइड के बारे में रोचक जानकारी दे रहे हैं डॉ.नवीन जोशी एम.डी.आयुर्वेद। डॉ.नवीन जोशी विगत कई वर्षों से अपने लेखन क माध्यम से लोगों को आयुर्वेद,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। दैनिक भास्कर जीवन मन्त्र के लिए लगभग 200 से अधिक लेख लिख चुके हैं साथ ही विभिन्न जड़ी-बूटियों को लाइव वीडियो के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं।

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