दादी-नानी और पिता-दादाजी के बातों का अनुसरण, संयम बरतते हुए समय के घेरे में रहकर जरा सा सावधानी बरतें तो कभी आपके घर में डॉ. नहीं आएगा. यहाँ पर दिए गए सभी नुस्खे और घरेलु उपचार कारगर और सिद्ध हैं... इसे अपनाकर अपने परिवार को निरोगी और सुखी बनायें.. रसोई घर के सब्जियों और फलों से उपचार एवं निखार पा सकते हैं. उसी की यहाँ जानकारी दी गई है. इस साइट में दिए गए कोई भी आलेख व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं है. किसी भी दवा और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें.
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शनिवार, जून 13, 2015

माहवारी (मासिक धर्म) के सभी दोषों को ऐसे दूर करें : राज

मासिक चक्र की अवधि 28 से 30 दिनों तक की होती है

किशोरावस्था, वृद्धावस्था और गर्भावस्था के दौरान सामान्यत: महिलाओं में माहवारी नहीं होती। लेकिन अगर किसी महिला में सामान्य अवस्था में माहवारी बिना किसी कारण बंद हो जाये, तो इसे माहवारी का अभाव कहते है। इसके कारण हार्मोन में होने वाला बदलाव या बीमारी भी हो सकती है।
अनियमित माहवारी का अर्थ है माहवारी चक्र की अवधि में बदलाव होना। सामान्यत: माहवारी हर महिला में मासिक चक्र की अवधि 28 से 30 दिनों तक की होती है। हर महिला के मासिक चक्रों में 8 दिनों का अंतर होता है। लेकिन 8 से 20 दिनों तक के अंतर को अनियमित माहवारी कहा जाता है। ज्यादातर अनियमित माहवारी के लक्षण होते हैं, जल्दी-जल्दी माहवारी आना, दाग लगना, रक्त के थक्कों का आना। 
माहवारी से पहले के लक्षणों का दिखना बहुत ही सामान्य है। लेकिन अगर किसी महिला में यही लक्षण इतने प्रबल हो जायें, कि उसके रोज़मर्रा के काम भी प्रभावित होने लगें, तो इसे प्रीमेंस्रूअल सिंड्रोम नामक बीमारी कहा जाता है। 
ज्यादातर स्तिथि में पीड़ादायक माहवारी में घरेलू नुस्खों से आराम मिल जाता है। लेकिन जब घरेलू नुस्खे भी आराम नहीं दे पा रहे हों, तो ऐसी सिथति को गंभीरता से लेना चाहिए। पेट के निचले हिस्से को गर्म सेंक दें, इसके लिए आप हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल का भी प्रयोग कर सकती है।
माहवारी का अनुभव हर लड़की के लिए अलग होता है। कुछ लड़कियों में माहवारी बिना किसी दर्द के हो जाती है और कुछ लड़कियों के लिए माहवारी का समय बहुत ही पीड़ादायक होता है। ऐसे में उन्हें पेट दर्द, सरदर्द और कमर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ लड़कियों या महिलाओं को तो दर्द इतना अधिक होता है कि वो माहवारी के दौरान खाना पीना तक छोड़ देती है। 
माहवारी के दौरान असुरक्षित सेक्स नहीं करना चाहिये क्यूंकि इससे बिमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। भारी व्यायाम के लिए भी यह ठीक नहीं है, ऐसे समय में सामान्य व्यायाम ही किये जा सकते है। ज्यादा नमक मीर्च वाला खाना ना खायें क्यूंकि सरदर्द हो सकता है। टाईट कपडे ना पहनें। 
सैनेटरी पैड रक्त को सोखने के मकसद से बनाये जाते है, इनमे सकत को सोखने की क्षमता कपडे से कहीं ज्यादा होती है। इनका प्रयोग एक बार करके पैड को फैंक देना चाहिये। आजकल बाज़ार में बहुत तरह के सैनेटरी पैड उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग लगभग एक ही तरीके से किया जाता है। कुछ पैड भरी स्त्राव तक का पता नहीं लगने देते और कुछ सामान्य से थोड़े बड़े आकार के होते है।
माहवारी को लेकर बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि, माहवारी के दिनों में सेक्स करने से गर्भ नहीं ठहरता। यह बिलकुल गलत है। कुछ लोगों का मानना है की माहवारी के दिनों में सेक्स अनान्दायक होता है।
डॉक्टरी शब्दों में 80 मिली से अधिक मात्र में रक्त के आने को भारी माहवारी कहते है। भारी स्त्राव का पता लगाने का सबसे आसन तरीका है की आपको कितनी देर में पैड बदलना पड़ रहा है। अगर आपको एक दो घंटे के अन्दर पैड बदलना पड़ रहा है या आपकी माहवारी एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहती है, तो यह भारी स्त्राव माना जाता है। किसी महिला को हर महीने 8 से 10 दिनों तक माहवारी हो रही है।

माहवारी चक्र की सामान्य अवधि 28 से 35 दिनों की होती है और यह किसी भी लड़की के जीवन में हर महीने दोहरायी जाती है, जब तक कि वो गर्भवती ना हो। माहवारी चक्र 8 से 16 साल तक की उम्र में कभी भी शुरू हो सकता है। नियमित माहवारी का अर्थ है 28 से 35 दिनों के अन्तराल पर माहवारी का दोबारा आना. कुछ लडकियों में माहवारी 3 से 5 दिनों तक रहती है, तो कुछ 2 से 7 दिनों तक। 

मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ होना साधारण बात है अक्सर माहवारी की अनियमिता हो जाती है ,अर्थात कई बार रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो जाता है और कई बार क्या होता है बिलकुल ही नहीं होता ! और कभी कभी ऐसा भी होता है की ये 2-3 दिन होना चाहिए लेकिन 1 ही दिन होता है ,और कई बार 15 दिन ही दुबारा आ जाता है ! और कई बार 2 महीने तक नहीं आता !
* मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधि है वो है अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी !

* हाँ एक बात याद रखे आशोक का पेड़ दो तरह का है एक तो सीधा है बिलकुल लंबा ज़्यादातर लोग उसे ही अशोक समझते है जबकि वो नहीं है एक और होता है पूरा गोल होता है और फैला हुआ होता है वही असली अशोक का पेड़ है जिसकी छाया मे माता सीता ठहरी थी !

* तो आप इस असली अशोक के 5-6 पत्ते तोड़िए उसे पीस कर चटनी बनाओ अब इसे एक से डेढ़ गिलास पानी मे कुछ देर तक उबाले ! इतना उबाले की पानी आधा से पौन गिलास रह जाए ! फिर उसे बिलकुल ठंडा होने के लिए छोड़ दीजिये और फिर उसको बिना छाने हुए पीये ! सबसे अच्छा है सुबह खाली पेट पीना ! कितने दिन तक पीना ?? 30 दिन तक लगातार पीना उससे मासिक धर्म (periods ) से सबन्धित सभी तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ! ये सबसे अधिक अकेली बहुत ही लाभकारी दवा है ! जिसका नुकसान कोई नहीं है ! और अगर कुछ माताओ-बहनो को 30 दिन लेने से थोड़ा आराम ही मिलता है ज्यादा नहीं मिलता तो वो और अगले 30 दिन तक ले सकती है वैसे लगभग मात्र 30 दिन लेने से ही समस्या ठीक हो जाती है !

* ये तो हुई महवारी मे अनियमिता की बात ! अब बात करते पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द की. बहुत बार माताओ -बहनो को ऐसे समय मे बहुत अधिक शरीर मे अलग अलग जगह दर्द होता है कई बार कमड़,दर्द होना ,सिर दर्द होना ,पेट दर्द पीठ मे दर्द होना जंघों मे दर्द होना ,स्तनो मे दर्द,चक्कर आना ,नींद ना आना बेचैनी होना आदि तो ऐसे मे तेज pain killer लेने से बचे क्योंकि इनके बहुत अधिक side effects है , एक बीमारी ठीक करेंगे 10 साथ हो जाएगी और बहुत से pain killer तो विदेशो मे 20 वर्षो से ban है जो भारत मे बिकती है !

* तो आयुर्वेद मे भी इस तरह के दर्दों की तात्कालिक (instant relief ) दवाये है जिसका कोई side effect नहीं है ! तो पीरियडस के दौरान होने वाले दर्दों की सबसे अच्छी दवा है गाय का घी ,अर्थात देशी गाय का घी ! एक चम्मच देशी गाय का घी को एक गिलास गर्म पानी मे डालकर पीना ! पहले एक गिलास पानी खूब गर्म करना जैसे चाय के लिए गर्म करते है बिलकुल उबलता हुआ ! फिर उसमे एक चम्मच देशी गाय का घी डालना ,फिर ना मात्र सा ठंडा होने पर पीना ,चाय की तरह से बिलकुल घूट घूट करके पीना ! बिलकुल सिप सिप करके पीना है ! तात्कालिक (instant relief ) एक दम आराम आपको मिलेगा और ये लगातार 4 -5 दिन जितने दिन पीरियड्स रहते है पीना है उससे ज्यादा दिन नहीं पीना ! ये पीरियडस के दौरन होने वाले सब तरह के दर्दों के लिए instant relief देता है सामान्य रूप से होने वाले दर्दों के लिए अलग दवा है !

* एक बात जरूर याद रखे घी देशी गाय का ही होना चाहिए , विदेशी जर्सी,होलेस्टियन ,फिरिजियन भैंस का नहीं !! देशी गाय की पहचान है की उसकी पीठ गोल सा ,मोटा सा हम्प होता है !कोशिश करे घर के आस पास पता करे देशी गाय का ! उसका दूध लाकर खुद घी बना लीजिये ! बाजारो मे बिक रहे कंपनियो के घी पर भरोसा ना करें ! या भारत की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम पथमेड़ा गौशाला है जो राजस्थान मे है यहाँ 2 लाख से ज्यादा देशी गाय है इनका घी खरीद लीजिये ये पूरा देशी गाय के दूध से ही बना है ! काफी बड़े शहरो मे उपलब्ध है !

*** अंत जब तक आपको जीवन मे आपको मासिक धर्म रहता है आप नियमित रूप से चूने का सेवन करें ....!

गीला चूना , जो पान वाले के पास से मिलता है कितना लेना है ....?

गेहूं के दाने जितना..... ! 

कैसे लेना है .....?बढ़िया है की सुबह सुबह खाली पेट लेकर काम खत्म करे आधे से आधा गिलास पानी हल्का गर्म करे गेहूं के दाने के बराबर चूना डाले चम्मच से हिलाये पी जाए.... ! 

इसके अतिरिक्त दही मे ,जूस मे से सकते है बस एक बात का ध्यान रखे कभी आपको पथरी की समस्या रही तो चूने का सेवन ना करे..... ! 

ये चुना बहुत ही अच्छा है बहुत ही ज्यादा लाभकरी है मासिक धर्म मे होने वाली सब तरह की समस्याओ के लिए.... !

इसके अतिरिक्त आप जंक फूड खाने से बचे , नियमित सैर करे…

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