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शनिवार, जून 06, 2015

सेहत का खजाना : गर्मी का राजा ‘पुदीना’

गर्मी के मौसम में कई बड़ी बीमारियों
से बचाता है ‘पुदीना’


पुदिना सेहत के लिए तो अच्छा होता ही है ये गर्मी के मौसम में आपको कई बड़ी बीमारियों से भी बचाता है। मौसम की मांग के चलते पुदिना मार्केट में बहुत ही महंगे भाव में मिल रहा है।  पुदिना खाने का जायका बढाता है और पेट के लिए ठंडा होता है। पुदिना को जरूर खाना चाहिये क्‍योंकि यह पौष्टिकता से भरी होती है। 
आयुर्वेद के अनुसार पुदीना रूचिवर्ध्दक, स्वादिष्ट, सुगंधित, दिल के लिये फायदेमंद रूखा, तीखा, वात व कफ के विकार को दूर करने वाला, खांसी व नशा नाशक, पाचन शक्ति की कमजोरी, बदहजमी, आफरा, पेट दर्द, अतिसार, संग्रहणी, हैजा, पुराना बुखार और कृमिनाशक होता है। हिन्दी में इसे पुदीना, संस्कृत में पूतिहा, अंग्रेजी में स्पिअर मिण्ट, लैटिन में मेन्था स्पाइकेटा, गुजराती में फुदीनो, मराठी में पुदिना, बंगला में पोदीना, तमिल में पुदीना, पारसी में पुदिन नाम से जाना जाता है। पुदीने का प्रयोग पुरातन काल से होता आ रहा है। भोजन में पुदीने की जितनी उपयोगिता है, उतनी दूसरी शाक सब्जी या फल की नहीं है। चाहे शर्बत तैयार करना हो, महकदार चटनी का जायका लेना हो अथवा कढ़ी में भी महकदार पैदा करनी हो, रायता, छाछ, केरी का पानी हो इन सभी में पोदीने को डालकर जायकेदार बनाया जा सकता है। पुदीने से तमाम शारीरिक शिकार भी समाप्त हो जाते हैं। यदि लगातार पुदीने का प्रयोग किया जाता है, तो काया में व्याधि होने की सम्भावना भी कम हो जाती है। पुदीना अपनी सुगंध, खुशबू के लिए संसार में सर्वोपरि मान गया है। च्युंगम, मुखशुध्दि पेय तथा दंत पेस्ट आदि बनाने वाली सभी कम्पनियां किसी न किसी रूप में थोड़ी या अधिक मात्रा में पुदीने के रस का प्रयोग करती है। कहा जाता है कि पुदीने की पत्ती मुंह में रखकर चूसते रहना अमृत जैसा है। पुदीना विटामिन ‘ए’ की खान है। पुदीने में जितने विटामिन पाये जाते हैं, उतने न तो किसी विशेष वस्तु में होते हैं न ही किसी दवा में होते हैं। पुदीना एक विलक्षण व अनुपम औषधि है।
पुदीने को सामान्यत: तीन किस्मों में विभाजित किया जाता है। वन्य (जंगली) पुदीना, पर्वतीय (पहाड़ी) पुदीना और जलीय पुदीना।

पुदीने के औषधीय उपयोग-

  • सलाद में इसका उपयोग स्वास्थ्यवर्ध्दक है। प्राय: प्रतिदिन इसकी पत्ती चबाई जाये तो दंत क्षय, मसूढ़ों से रक्त निकलना, पायरिया आदि रोग कम हो जाते हैं। यह एण्टीसेप्टिक जैसा कार्य करता है, और दांतों तथा मसूढ़ों को आवश्यक पोषक तत्व पहुंचाता है।
  • एक गिलास पानी में पुदीने की 4/5 पत्तियां डालकर उबालें ठण्डा होने पर फ्रिज में रख दें। इस पानी से कुल्ला करने पर मूंह की दुर्गंध दूर हो जाती है।
  • पुदीना कीटनाशक है यदि घर के चारों तरफ पुदीना के तेल का छिड़काव कर दिया जाये तो मक्खी, मच्छर, चींटी आदि कीटाणु भाग जाते हैं।
  • पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से, भाप लेने से मुहांसे, चेहरे की झाइयों एवं दागों में लाभ होता है।
  • एक टब में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें पुदीने का तेल डालकर यदि उसमें पैरों को रखा जाये तो थकान से राहत मिलती है, और बिवाईयों के लिए बहुत लाभकारी है।
  • पुदीने का ताजा रस क्षय रोग, अस्थमा एवं विचित्र प्रकार के श्वास रोगों में बहुत ही लाभकारी है।
  • पानी में नींबू का रस पुदीना एवं काला नमक मिलाकर पीने से मलेरिया के बुखार में राहत मिलती है।
  • हकलाहट दूर करने के लिए पुदीने की पत्तियों में काली मिर्च पीस लें तथा सुबह शाम एक एक चम्मच सेवन करे। हकलाहट दूर हो जायेगी।
  • हिचकी की शिकायत होने पर इसकी पत्तियों को चूसने से या इसके रस को शहद के साथ लेने से राहत मिलती है।
  • प्राकृतिक भोजन में रूचि रखने वाले लोगों में पुदीना डालकर बनाई गई चाय अच्छी रहती है, तथा पुदीने की चाय में एक दो चुटकी नमक मिलाकर पीने से खांसी में लाभ होता है।
  • हैजे में पुदीना, प्याज का रस, नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। उल्टी-दस्त, हैजा हो तो आधा कप रस हर घण्टे के अन्तराल पर रोगी को पिलाये।
  • पुदीने का ताजा रस शहद के साथ सेवन करने से ज्वर दूर हो जाता है, तथा न्यूमोनिया से होने वाले विकार भी नष्ट हो जाते हैं। यदि आंतों की खराबी शिथिलता या अन्य पेट के कोई अन्य रोग हो तो पुदीना सेवन कर इन्हें दूर किया जा सकता है।
  • पेट में अचानक दर्द उठता हो, मरोड़ हो तो अदरक और पुदीने के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करे। पेट दर्द में राहत मिलेगी।
  • मुंह में छाले हो गये हो तो पुदीने के गाढ़े क्वाथ में रूई के फाहों को अच्छी तरह भिगोकर लगाने से छाले तथा घाव ठीक होकर राहत मिलती है।
  • नकसीर की शिकायत होने पर प्याज एवं पुदीने का रस मिलाकर नाक में डाल देने से नकसीर के रोगियों को बहुत लाभ होता है।
  • आजकल तो बाजार में ‘पुदीन हरा’ नामक औषधि प्रचलन में आ गई है। जो अजीर्ण बदहजमी, पेट दर्द में रामबाण है।
अगर आप पुदिना खाने का शौक रखते हैं, तो इसे अपने घर पर ही उगाएं।  इसे बडे से गमले में उगाइये जिससे आप हर वक्‍त इसका आनंद ले सकें। पुदिना को घर पर उगाना बहुत ही आसान है आइये जानते हैं कि पुदिना को घर पर कैसे उगाया जा सकता है।
पुदीना का छोटा पौधा कहीं भी किसी भी जमीन व यहां तक कि गमले में भी आसानी से उग जाता है। यह गर्मी को झेलने की शक्ति रखता है। इसे किसी भी उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। थोड़ी सी मिट्टी और पानी इसके विकास के लिये पर्याप्त है। पुदीना की उपज किसी भी समय ली जा सकती है। गर्मी के दिनों में तो इसकी उपज व बढ़वार अच्छी होती है। इसकी पत्तियों को ताजा तथा सुखाकर भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

घर पर ऎसे उगाएं पुदिना का पौधा -

1. गमला और जगह चुनें- पुदिना लगाने के लिये गमला काफी बड़ा होना चाहिये जिससे वह आराम से लग जाए। गमले को सूरज की तेज धूप से दूर रखें साथ ही इसे दूसरे पौधों के पास नही रखें। पुदिना को ज्‍यादा धूप की जरूरत नहीं होती। इसे इंफेक्‍शन से बचाने के लिये इन्‍हें दूसरे गमलों के पास ना रखें। 

2. बीज बोना- बीज को किसी भी समय बोया जा सकता है। फिर यह आठ हफ्तों के अदंर बिल्‍कुल ठंड में उगेगा। बीज को मिट्टी में दो इंच नीचे बोना चाहिये। 

3. पानी- पुदिना के पौधे को उगने के लिये नमी की जरूरत होती है। पर इन्‍हें इतना भी पानी ना दें कि यह सड़ जाए। पानी की सही मात्रा ही दी जानी चाहिये। पौधों को सही तरह से नमी प्राप्‍त हो इसके लिये पौधे के चारों ओर फूल, फलों की पत्‍तियों को बिछा दें। इससे अत्‍यधिक पानी वे सोख लेगें और आपका पौधा खराब भी नहीं होगा। पुदिना को दिन में दो बार पानी दें।

4. गमले की खाद- पुदिना के पौधों को अच्‍छी तरह से उगने के लिये खाद की आवश्‍यकता पड़ती है। इसलिये उन्‍हें हर 10 दिन बाद प्राकृतिक खाद ही दें। खाद तब तक डालें जब तक कि वह कटाई योग्‍य ना हो जाएं। प्राकृतिक खाद में किचन का वेस्‍ट, गांय का गोबर या फिर अन्‍य फल और पत्तियों का इस्‍तमाल किया जा सकता है। 

5. कटाई- वैसे पुदिना के पौधों को उगने में 6 से 8 हफ्ते आराम से लग जाते हैं। आप चाहें तो गमले से केवल पत्तियों को तोड़ सकती हैं या फिर पूरे पौधों को जड़ सहित ही निकाल सकती हैं। पौधों को उस पर फूल लगने से पहले ही काट लेना चाहिये।

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